तारावाड़ी - पेंसन के लिऐ धक्कौं से परेशान लोग
"-पैंशन के लिए धक्के खा रहे चलने-फिरने में असमर्थ बुर्जूग"-
..खाते में आ रही पैंशन, बैंकों में नही सुनते अधिकारी, तो कैसे निकलवाएं पैंशन कस्बा तरावड़ी के अधिकतर वार्डों के बुर्जूग पैंशन के लिए धक्के खाने पर मजबूर हैं। उन्हें पैंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। क्योंकि प्रत्येक वार्ड में कई बुर्जूग ऐसे भी हैं, जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं। उनकी पैंशन उनके बैंक खातों में आती है। लेकिन यह बुर्जूग बैंकों में अपनी पैंशन निकलवाने में असमर्थ हैं। क्योंकि यह बुर्जूग सही ढंग से चल फिर भी नही सकते। यदि बुर्जूग रिक्शे व किसी अन्य वाहन का सहारा लेेकर बैंकों तक पहुंच भी जाते हैं तो बैंकों में उनकी सुनने वाला कोई नही हैं, क्योंकि बैंक अधिकारियों के चहेतों के काम ही नही निपटते। फुट्टी तरावड़ी के रहने वाले बुर्जूग रामू, फुलवंती, शीला, अमरो समेत अन्य बुर्जूगों ने बताया कि जब वह पैंशन लेने के लिए बैंक जाते हैं तो बैंक कर्मचारी घंटो तक इंतजार करवाते हैं। इसके बाद वह सुनते ही नही। बाद में वह लंच टाईम कहकर उन्हें वापिस भेज देते हैं। काबिलेगौर है कि सरकार द्वारा बुर्जूगों की पैंशन खाते में डालने की योजना बनाई गई है, लेकिन इस योजना के बाद कई बुर्जूगों के लिए यह योजना सिरदर्द बनकर रह गई। बुर्जूगों ने मांग की है कि कोई ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि या तो पार्षद या फिर बैंक कर्मचारी द्वारा उनकी पैंशन घर पर ही भिजवाई जाए, ताकि उन्हें राहत मिल सके!
Reported by
छाया शर्मा
तारावाड़ी
..खाते में आ रही पैंशन, बैंकों में नही सुनते अधिकारी, तो कैसे निकलवाएं पैंशन कस्बा तरावड़ी के अधिकतर वार्डों के बुर्जूग पैंशन के लिए धक्के खाने पर मजबूर हैं। उन्हें पैंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। क्योंकि प्रत्येक वार्ड में कई बुर्जूग ऐसे भी हैं, जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं। उनकी पैंशन उनके बैंक खातों में आती है। लेकिन यह बुर्जूग बैंकों में अपनी पैंशन निकलवाने में असमर्थ हैं। क्योंकि यह बुर्जूग सही ढंग से चल फिर भी नही सकते। यदि बुर्जूग रिक्शे व किसी अन्य वाहन का सहारा लेेकर बैंकों तक पहुंच भी जाते हैं तो बैंकों में उनकी सुनने वाला कोई नही हैं, क्योंकि बैंक अधिकारियों के चहेतों के काम ही नही निपटते। फुट्टी तरावड़ी के रहने वाले बुर्जूग रामू, फुलवंती, शीला, अमरो समेत अन्य बुर्जूगों ने बताया कि जब वह पैंशन लेने के लिए बैंक जाते हैं तो बैंक कर्मचारी घंटो तक इंतजार करवाते हैं। इसके बाद वह सुनते ही नही। बाद में वह लंच टाईम कहकर उन्हें वापिस भेज देते हैं। काबिलेगौर है कि सरकार द्वारा बुर्जूगों की पैंशन खाते में डालने की योजना बनाई गई है, लेकिन इस योजना के बाद कई बुर्जूगों के लिए यह योजना सिरदर्द बनकर रह गई। बुर्जूगों ने मांग की है कि कोई ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि या तो पार्षद या फिर बैंक कर्मचारी द्वारा उनकी पैंशन घर पर ही भिजवाई जाए, ताकि उन्हें राहत मिल सके!
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छाया शर्मा
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